हार न जाना काल चक्र से

बीता वर्ष बीतीं बातें,
चलता चल तू यूँ ही बन्दे !
जीवन है यह भूल न जाना,
हौंसला रखना यूँ ही बन्दे !

कदम उठाना यह सोच कर तू ,
दिल को समझाना यह सोच कर तू!
सफ़र तेरा चलेगा तब तक,

खुद को अकेला समझेगा जब तक !!

बांध के मुठी में शक्ति अपनी,
विवेक बुधि सहेज के अपनी!
निरंतर विजेता बनने को तू ,
दुनिया कहेगी तेरी कहानी !!

ताप मिले या मिले अन्धेरें,
र रुकना तू न थकना तू !
दिन दिखी गर मिले कहीं तो,
उनकी धुल ले लेना तू !!

उनकी दुवा तेरी साथी होगी,
उनकी ममता तेरी तपश हरेगी!
मंजिल  से पहले  लौट  न आना ,
स्वर्णिम जीत तेरा स्वागत करेगी !!

हार न जाना काल चक्र से
यूँ ही चलते  रहना मुसाफिर !
यूँ ही चलते  रहना मुसाफिर !

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